मोहब्बत

 🍂मोहब्बत.....



रोक ल्यू सांसे खुद की,

क्योंकि हर सांस गेल तू याद आई ह ।

छू ल्यू रूह को अपनी,

पर बेरा लाग्या कि इब त रूह में भी तन्हाई ह ।

फकीर सु तेरे गलियारे का,

अर तू भीख में मेरी मौत लेकै आई ह ।

क्यूंकर भूला दु ये इश्क,

पूछ रब त जो इतनी सिद्दत त पाई ह ।

पास रहणा जरूरी कोन्या,

"गालिब" न त दूर रहके भी मोहबत निभाई ह !!


 🍁🍁🍁🍁🍁


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

🍂 दर्द....

दिल 🍂🍂

🍂मेरी कलम ...